कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी
कुछ मेरी सुन
कुछ अपनी सुना ऐ ज़िन्दगी
कुछ मेरी सुन
कुछ अपनी सुना ऐ ज़िन्दगी
कुछ तो बता ज़िन्दगी
है कहाँ तू मशरूफ़.... ऐ ज़िन्दगी
कभी दे अपने घर का पता ऐ ज़िन्दगी
बैठे करें कहीं कभी गुफ़तगू ऐ ज़िन्दगी
कभी कुछ वक़्त हमारे साथ भी बिता ...ऐ ज़िन्दगी
कुछ अपनी सुना
कुछ हमारी भी सुन ऐ ज़िन्दगी
छोड़ के कभी इन
फलसफों और फसानों को
इस कश्मकश में कभी
खुद का खुद से तार्रुफ़ करा...ऐ ज़िन्दगी
कुछ तो बता ऐ ज़िन्दगी....
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